
Kaash کاش Lyrics – Agape Sisters
Kaash کاش Lyrics – Agape Sisters
ए मेरे मसीह काश मैंने तेरे होते जन्म लिया होता ..2
साथ साथ थी भीड़ जो तेरे उसमें काश मैं एक होता
पल-पल मैं तकता तेरे मौज जसर लेता मैं
राहत तेरे पैरों से कभी तो तुझे मिला होता
ए मेरे मसीह
काश मैं देखता आंखों से वो समा
मछलियां दो थी और पांच थी रोटीयां
जिनसे हजारों लोग सेर (तृप्त)हो गए
तेरे हुकुम से बटे (बचे) बारह टोकरे
तु उस्ताद काश मेरा होता
ए मेरे मसीह
काश देखता मैं तेरा इख्तियार वो
जब कहा था तूने एक बीमार को
हाथों से चारपाई अपने उठा
आइंदा न करना तू कोई भी गुनाह
काश मैंने भी वह सुना होता…
ए मेरे मसीह
लाजर के घर में जाकर जब तू रोया था
बहनों ने उसकी तुझसे की थी इल्तिज़ा (अनुरोध)
कहने पर तेरे कब्र से पत्थर हटा
और कफन समेत ही वो था जी उठा
उस लम्हे काश मैं जिया होता
ए मेरे मसीह
देखता मैं जुल्म तुझ पे जो था हुआ
कांधे पर सलीब थी कठिन था रास्ता
कुछ लम्हों का तुझ पर तरस जो किया
और जिसे सलीब उठाने को था कहा
काश मैं ही वो खुशनसीब होता
ए मेरे मसीह